Acresia “चाहिए” (Should Do) का जाल तीसरा दिन – Cool Daddy Blogger’s Diary

आज सुबह मैंने सोचा – “मुझे डायरी लिखनी चाहिए।” I
और उसी पल हंसी आ गई।
क्योंकि ये वही जाल है, जिसमें मैं और आप, हम सब बार-बार फंस जाते हैं।
इस जाल का नाम है – “चाहिए।” Should Do

“चाहिए” क्यों खतरनाक है?

जब हम बोलते हैं – मुझे करना चाहिए…”
तो दिमाग़ को लगता है जैसे हमने आधा काम कर लिया।
थोड़ा सुकून मिलता है, थोड़ा गर्व भी।
लेकिन सच?
कुछ भी नहीं किया।

यही है Acresia की जन्मभूमि

Acresia = पता है क्या करना है, पर करना नहीं।
और इसका सबसे बड़ा ईंधन है – चाहिए।

  • मुझे एक्सरसाइज करनी चाहिए। → लेकिन अलार्म स्नूज़।
  • मुझे पैसे बचाने चाहिए। → लेकिन शॉपिंग ऑन।
  • मुझे किताब पढ़नी चाहिए। → लेकिन मोबाइल स्क्रॉल।

“चाहिए” हमें सपनों की दुनिया में रखता है, काम की दुनिया से दूर।

कुछ उदाहरण

  • टीचर ने कहा – सुबह उठना चाहिए।
    क्लास बोली – हाँ, बिल्कुल उठना चाहिए।
    और फिर? सब 10 बजे तक सोते रहे।
  • दोस्त बोले – हमें बिज़नेस शुरू करना चाहिए।
    सबने सहमति जताई।
    और फिर? किसी ने कुछ नहीं किया।
  • मैंने सोचा – मुझे पापामम्मी को फोन करना चाहिए।
    और फिर? हफ़्ते निकल गए।

यही है चाहिएका जाल।



इलाज: “चाहिए” से “मैं कर रहा हूँ” तक

अगर सच में जीतना है तो चाहिए शब्द को मिटाओ।
और उसकी जगह बोलो – मैं कर रहा हूँ।

  • मत कहो – मुझे एक्सरसाइज करनी चाहिए।
    कहो – मैं एक्सरसाइज कर रहा हूँ।
  • मत कहो – मुझे लिखना चाहिए।
    कहो – मैं लिख रहा हूँ।
  • मत कहो – मुझे परिवार को समय देना चाहिए।
    कहो – मैं उनके साथ बैठा हूँ।

आज का वादा

आज से मैं अपनी डायरी में कभी नहीं लिखूँगा – “मुझे करना चाहिए।”
मैं सिर्फ़ लिखूँगा – “मैं कर रहा हूँ।”

💭 डायरी से सीख

Acresia का जन्म laziness से नहीं,
बल्कि चाहिए शब्द से होता है।

अगर 95% से निकलकर 5% में आना है तो…
👉 मुझे करना चाहिए मत बोलो।
👉 बस बोलो – मैं कर रहा हूँ।

Leave a comment