गीता क्यों कहती है कि सब कुछ पहले से जानना ज़रूरी नहीं है – Cool Blogger’s Diary

प्रिय डायरी,
क्या सच में हमें ज़िंदगी का हर जवाब पहले से पता होना चाहिए? सोशल मीडिया और दुनिया अक्सर हमें परफ़ेक्ट दिखने की दौड़ में धकेल देती है। हर किसी को लगता है कि हमें अपनी लाइफ़ पूरी तरह समझ लेनी चाहिए। लेकिन जब हम गीता का अध्ययन करें, तो वहाँ से मिला संदेश कुछ और ही था । Bhagavad Gita life Lessons
गीता कहती है कि ज़िंदगी कोई पज़ल नहीं है जिसे तुरंत सॉल्व करना है। असली समझ धीरे-धीरे आती है—जीने से, चलने से, कर्म करने से।
पूर्णता का माया जाल
सोशल मीडिया पर हर जगह परफ़ेक्ट लाइफ़ की तस्वीरें दिखती हैं। लेकिन गीता सिखाती है—पूर्णता एक भ्रम है। सच्चाई तो यह है कि इंसान अनुभवों से बढ़ता है, ना कि सब कुछ पहले से जान लेने से।
कर्म बनाम उलझन
अर्जुन की तरह हम भी कई बार निर्णयहीन हो जाते हैं। कृष्ण कहते हैं—कर्म करो, फल की चिंता मत करो। जब हम चलना शुरू करते हैं, रास्ते अपने आप साफ़ होते जाते हैं।
परिणाम छोड़ो, शांति पाओ
हमारे हाथ में सिर्फ़ कर्म है, परिणाम नहीं। जब हम परिणामों की पकड़ छोड़ते हैं, तो मन हल्का और शांत हो जाता है।
विश्वास ही सहारा है
ज़िंदगी अनिश्चित है। लेकिन ईश्वर पर भरोसा हमें स्थिरता देता है। हर कदम पर जवाब चाहिए, यह ज़रूरी नहीं। ज़रूरी है—विश्वास और समर्पण।
यात्रा ही उपहार है
अर्जुन की शक्ति जवाबों में नहीं थी, बल्कि अपने रास्ते पर चलने में थी। गीता हमें याद दिलाती है—सच्ची संतुष्टि मंज़िल में नहीं, सफ़र में है।

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अंतिम विचार
गीता का संदेश बड़ा साफ़ है—“तुम्हें सब कुछ पहले से समझना ज़रूरी नहीं है।” ज़िंदगी कोई बोझ नहीं, बल्कि एक पवित्र नृत्य है—प्रयास और कृपा का।











