दिन कुछ खास नहीं, पर सोच बड़ी है – Cool Blogger’s Diary

क्या हम अपने बच्चों की ज़रूरत से ज़्यादा परवरिश कर रहे हैं?

आज Diary में लिखने जैसा कुछ खास नहीं था… ज़िंदगी की गाड़ी अपने रूटीन पर दौड़ रही है। सुबह उठो, काम पर जाओ, शाम को थोड़ा ब्लॉगिंग, फिर परिवार, फिर रात।
लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि कुछ खास हुआ नहीं, फिर भी दिल करता है कि मन की कोई बात आपसे शेयर की जाए।

तो आज एक सोच दिल को छू गई – “क्या हम अपने बच्चों की ज़रूरत से ज़्यादा परवरिश कर रहे हैं?”

इस बारे में सोचते हुए, मैं आपको आज की Daily Diary में एक पेरेंट से दूसरे पेरेंट की तरह एक बात कहना चाहता हूं।

आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में हम सभी चाहते हैं कि हमारे बच्चे सबसे Best हों — उन्हें सबसे अच्छा School मिले, हर तरह की क्लास मिले, Activities में भी आगे रहें, और हर चुनौती से दूर रहें।

लेकिन… कहीं हम उन्हें इतना ‘पैकेज्ड’ बना रहे हैं कि वो खुद से कुछ महसूस करना ही भूल रहे हैं?

👶🏻 मैं खुद भी parents हूं, और एक एजुकेशनिस्ट भी। मैंने देखा है कि आज के बच्चों में प्रॉब्लम सॉल्विंग, डिसीजन मेकिंग, और सेल्फ मोटिवेशन जैसी बेसिक स्किल्स की कमी हो रही है।
और शायद इसकी एक वजह ये है कि हम हर बार उनके लिए ‘प्रॉब्लम फिक्सर’ बन जाते हैं।

🎯 क्या हमें उन्हें कभी-कभी फेल होने देना चाहिए?
🎯 क्या हमें हर चोट पर मरहम लगाने की जगह, उन्हें अपने आंसू खुद पोंछने देना चाहिए?
🎯 क्या हमें उन्हें गाइड करना चाहिए… या कंट्रोल करना?

आज की डायरी एक सवाल है — क्या हमारी ज़रूरत से ज़्यादा परवरिश, कहीं उनके आत्मनिर्भर बनने के रास्ते में रुकावट तो नहीं?

मैं चाहता हूं कि आप भी इस सवाल पर सोचें।

अगर आप एक माता-पिता हैं, तो आपसे दिल से पूछ रहा हूं —
क्या आपने कभी खुद को जरूरत से ज्यादा इन्वॉल्व पाया है?
क्या आप अपने बच्चे को थोड़ा और स्पेस देने का सोचते हैं?

आपका अनुभव, आपकी सोच इस डायरी का सबसे कीमती हिस्सा होगी।

कमेंट में जरूर बताइए — क्या हम बच्चों की ज़रूरत से ज़्यादा परवरिश कर रहे हैं?

आपका साथी,
Cool Daddy ✍️

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