Parenting Skills Tips-10 साल की उम्र से पहले बच्चों को ये एक स्किल ज़रूर सिखाएं by Cool Daddy

🕰️ समय: रात 10:15 बजे
📍 लोकेशन: घर की बालकनी, चाय के साथ

“10 साल की उम्र से पहले बच्चों को कौन-सी स्किल (Parenting Skills) आनी चाहिए?”

आज इसी सवाल ने मुझे अंदर तक सोचने को मजबूर करता है |

दिनभर की दौड़भाग, मीटिंग्स, और स्कूल की जिम्मेदारियों के बाद जब मैं अपने बेटे के साथ बैठा, तो उसने एक बहुत छोटा सा सवाल पूछा –
पापा, आप हमेशा कहते हो कि स्किल्स ज़रूरी हैं… पर कौन-सी वाली सबसे पहले सीखनी चाहिए?”

मैं मुस्कुराया, लेकिन दिल में गहराई से सोचने लगा।

किसी को Dance आता है, किसी को Cricket, किसी को Maths किसी को Art, पर जो एक स्किल हर बच्चे को 10 साल की उम्र तक ज़रूर आनी चाहिए, वो है – ‘अपनी बात को साफ़, सच और सलीके से कहना।’

Skill – “Clear and Confident Communication”

बोलने की कला कोई मामूली चीज़ नहीं है।
ये वो ताकत है जो एक बच्चे को:

  • अपनी भावनाएं सही से ज़ाहिर करने देती है,
  • डर, शर्म या ग़लतफहमियों से बाहर निकलने में मदद करती है,
  • और सबसे ज़रूरी – अपनी ‘ना’ कहना सिखाती है, जब ज़रूरी हो।

हम बच्चों को पढ़ाते हैं कि ‘A for Apple’ और ‘2+2 = 4’, लेकिन क्या हम उन्हें सिखाते हैं कि
अगर कोई चीज़ बुरी लगे तो कैसे मना करें?”
अगर डर लग रहा हो तो कैसे बताएं?”
अगर कोई तारीफ़ करे, तो कैसे ‘थैंक यू’ कहें?”

अब पहले यह समझने की कोशिश करते है कि अगर ना हो तो क्या हो सकता है

“What Happens When a Child Lacks Communication Skills — Even if They’re a Topper?”

आज के समय में अगर एक बच्चा पढ़ाई में तेज़ है, लेकिन अपनी बात नहीं कह पाता, दूसरों के सामने घबरा जाता है, या client, team, guests or fiends, से connect नहीं कर पाता — तो उसका talent अधूरा रह जाता है।

चलिए इस बात को थोड़ा और examples के साथ समझते हैं

Parenting Skill Tips - Communication Skills. StudyReach
Example 1: “The Silent Topper”

सुमित, एक 10वीं क्लास का स्टूडेंट था। हर साल स्कूल में टॉप करता था — मैथ्स, साइंस, सब्जेक्ट्स में top, लेकिन जब उसे स्कूल की स्टेज पर बोलने का मौका मिला, तो वो कुछ बोल ही नहीं पाया। कॉलेज में campus interview आया तो बात करने से डर गया।
आज वो एक बड़ी कंपनी में नौकरी तो कर रहा है, लेकिन हर मीटिंग में चुप रहता है। क्लाइंट मीटिंग्स (official meetings) में सीनियर्स ही भेजे जाते हैं, क्योंकि सुमित कमी महसूस करता है — अपनी बोलने की ताकत की।”

यही वो खालीपन है, जो communication skill की कमी से आता है।

🧩 अब बात करते हैं उन तीन सवालों की जो आपने सुझाए — और उन्हें उदाहरण के साथ समझते हैं:

1. “अगर कोई चीज़ बुरी लगे तो कैसे मना करें?”

Example:
8 साल की पायल को उसके एक classmate ने बार-बार डांटा और चिढ़ाया। उसे बुरा लगा, पर उसने किसी से कुछ नहीं कहा — न teacher से, न parents से। धीरे-धीरे वह क्लास में चुप रहने लगी, और उसका आत्मविश्वास (self-confidence) गिरने लगा।

Communication Skill का असर:
अगर पायल को यह सिखाया गया होता कि जब कुछ बुरा लगे तो कैसे शांति से मना करना है,” तो वो कह सकती थी —
मुझे अच्छा नहीं लगता जब तुम मुझे चिढ़ाते हो। प्लीज़ ऐसा मत करो।”
या
मैम, मुझे कुछ कहना है। मुझे क्लास में कोई परेशान कर रहा है।”

नतीजा? उसकी हिम्मत बनती, डर नहीं।

2. “अगर डर लग रहा हो तो कैसे बताएं?”

Example:
6 साल का आरव हर रात बिस्तर में रोता है लेकिन कुछ बोलता नहीं। जब मम्मी पूछती हैं, तो कहता है – “कुछ नहीं।”
असल में, उसे स्कूल के sports teacher की डांट से डर लगने लगा है।

Communication Skill का असर:
अगर आरव को यह सिखाया जाता कि डर को छुपाना नहीं, बताना ज़रूरी है,” तो वो कह सकता –
मुझे सर की बातों से डर लगता है। मुझे उनसे बात करने में घबराहट होती है।”

यह skill उसे life में anxiety से लड़ने की ताकत देती।

3. “अगर कोई तारीफ़ करे, तो कैसे ‘थैंक यू’ कहें?”

Example:
रीमा ने स्कूल की Drawing Competation जीती। एक टीचर ने कहा – “Wow! That’s a beautiful painting!”
रीमा शर्मा गई, सिर झुका लिया, और कुछ नहीं बोली। टीचर मुस्कराई, लेकिन रीमा को अंदर से discomfort हुआ।

Communication Skill का असर:
अगर रीमा को ये basic manners सिखाए गए होते, तो वो कहती –
“Thank you, ma’am! I enjoyed making it.”
इससे उसे भी अच्छा महसूस होता, और उसकी सोशल skills भी बढ़ती।


10 Ways to Boost Your Emotional Well-being | Expert Guide

Building Strong Support Systems and Relationships

Overcoming Procrastination

सोचिए…

बच्चा चाहे किसी भी प्रोफेशन में जाए – डॉक्टर, आर्टिस्ट, साइंटिस्ट या खिलाड़ी – अगर उसमें बात करने की ताकत है, तो वो आगे जाएगा।

और ये स्किल घर से ही शुरू होती है – पापा की गोद से, मम्मी की कहानी से, दादा-दादी की बातचीत से।

मैंने उस रात अपने बेटे से कहा –
बेटा, अगर तुम अपने दिल की बात बिना डरे, बिना झूठ बोले, और प्यार से कहना सीख जाओ…
तो तुम्हें जिंदगी में किसी भी स्कूल का, किसी भी कोर्स का डर नहीं रहेगा।” ❤️

कूल डैडी की सोच:

“Skill सिखाओ, सिर्फ़ syllabus नहीं।
क्योंकि जिंदगी का असली टेस्ट किताबों में नहीं, रिश्तों और फैसलों में होता है।”

Leave a comment