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परिवार, बच्चों और जॉइंट फैमिली की उलझन Cool Daddy Blogger’s Diary

  • July 11, 2025
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परिवार, बच्चों और जॉइंट फैमिली की उलझन  Cool Daddy Blogger’s Diary

जॉइंट फैमिली वर्‍सज न्यूक्लियर फैमिली – क्या बच्चे वाकई सीख पा रहे हैं?

आज ऑफिस से आने के बाद भोजन किया और फिर रोज़ की तरह थोड़ा आराम किया। दोपहर एकदम आम थी, लेकिन चाय के साथ माहौल कुछ खास बन गया। बातों-बातों में मेरी और Home Ministry (मतलब Wife) के बीच एक हल्की-फुल्की चर्चा शुरू हुई – परिवार के कुछ बच्चों और उनकी स्किल्स को लेकर। लेकिन जैसे-जैसे बातचीत आगे बढ़ी, पूरा परिवार चर्चा की चपेट में आ गया। हर बच्चे की एक-एक करके समीक्षा हो गई, और देखते ही देखते बातचीत का विषय Diary एक मोड़ ले बैठा – जॉइंट फैमिली बनाम न्यूक्लियर फैमिली

👨‍👩‍👧‍👦 हम बैठे बातें कर ही रहे थे कि हमारी कॉलोनी से एक भैया भाभी भी आ गए थे उनको देख एक ओर कपल आ गया बस फिर क्या बातें ही बातें “जॉइंट फैमिली है तो बच्चे को हर तरफ से गाइडेंस मिलता है,” क्या हुआ अगर मां-बाप बिजी है तो लेकिन चाचा, दादी, मामा सब तो हैं!”

बात में दम भी है — बच्चे को गिटार सीखना है तो चाचा लेकर जा रहे हैं, पेंटिंग क्लास है तो दादी तैयार करके भेज देती हैं, और भाई उसका होमवर्क भी देख लेता है।

लेकिन… फिर बातचीत ने दूसरा मोड़ लिया।

🎭 किसी ने कहा, भई, जॉइंट फैमिली में बच्चा सीधा-सादा नहीं रह पाता।”
एक Example सामने आया —
एक बच्चा जब अपने माता-पिता से कुछ छुपाना चाहता था, तो वह बाकी फैमिली मेंबर्स की मदद लेकर अपने बचाव के रास्ते ढूंढ लेता था। कुछ बातें वह दादी से छुपाता नहीं था, पर मां-पापा को नहीं बताता। कई बार पैरेंट्स खुद अपनी फैमिली में बिजी रहते हैं, और बच्चा घर में किनके साथ क्या सीख रहा है, इस पर ध्यान ही नहीं जाता।

👀 मैंने अपना एक Practical example जब मैं boarding school में था कि कैसे कुछ बच्चों को बोर्डिंग स्कूल सिर्फ इसलिए भेजा जाता है क्योंकि पैरेंट्स समझते हैं कि घर का माहौल — ताश के खेल, शादियों की बातें, कभी-कभी पार्टी – बच्चों को ‘बिंदास’ बना रहा है। और बिंदास बनने का मतलब हम सब समझते हैं — ज़िम्मेदारी से दूर, अधिकारों के पास।
हम चाहते हैं कि बच्चे स्वतंत्र बनें, पर बेखौफ नहीं
आत्मनिर्भर बनें, पर उद्दंड नहीं।

मैं यह नहीं कहता कि Joint family गलत है। लेकिन हमें देखना होगा कि बच्चा किससे क्या सीख रहा है। क्या वह ज़िंदगी की सच्चाइयों से वाकिफ हो रहा है, या बस हर सुविधा का आदी बन रहा है?

💡 एक और example –
एक बच्चा अपने न्यूक्लियर फैमिली में पल रहा था, पर माता-पिता ने उसे यह एहसास दिलाया कि हर चीज की एक ‘कीमत’ होती है।
“तुम्हें ये नया बैग इसलिए मिला क्योंकि तुमने अपनी पिछली क्लास की मेहनत से ये डिज़र्व किया।”
वहीं, एक जॉइंट फैमिली वाला बच्चा सिर्फ मांगने पर सब कुछ पा जाता है, बिना मेहनत के। धीरे-धीरे उसे लगता है कि ज़िंदगी तो बड़ी आसान है।

🎯 आज की डायरी का सवाल है —
क्या हम अपने बच्चों को उनके पारिवारिक माहौल के अनुसार एनालाइज कर रहे हैं?
क्या हम देख पा रहे हैं कि वह वाकई क्या सीख रहा है?

📍 हो सकता है आपकी बहन का बेटा जॉइंट फैमिली में रहकर बहुत कुछ सीख रहा हो, पर आपकी बेटी न्यूक्लियर फैमिली में रहकर ज़्यादा आत्मनिर्भर बन रही हो।
तो तुलना नहीं, विश्लेषण कीजिए।

बच्चों को गरीबों से मिलने दीजिए — ताकि उन्हें कीमत समझ में आए, कमी का एहसास हो।
हर चीज़ मांगने से पहले यह समझ आए कि उसे पाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है।

कूल डैडी की ये डायरी सिर्फ लिखी नहीं गई, जी गई है।
आप भी सोचिए – आपके बच्चे किस परिवार में हैं? और उस माहौल में क्या सच में उन्हें वैसी ज़िंदगी मिल रही है जैसी आप उन्हें देना चाहते हैं?

आपका
Cool Daddy ✍️

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